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17-08-2020

अंबेडरवादियों के लिए 440 वॉल्ट का झटका लगा- टीना डाबी संदर्भ

सेक्युलरिज्म 1 दीपक जलाने का विरोध और घर दुकान जलाने पर चुप्पी। 2 निर्दोष साधुओं के भीड़ द्वारा बेरहमी से मारने पर 33 सेकिंड और चोर तबरेज का पुलिस कस्टडी में मरने पर 33 घण्टे चैनल कवरेज। 3 थाली बजाना गलत पर डॉक्टर और पुलिस के सिर पर पत्थर बजाने पर चुप कई साल पहले कई सेक्युलर मित्रों ने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों मे वर्षो से भाईचारा है। कभी कभी गलतफहमी हो जाती है। उसे तुम्हारे जैसे कट्टर राष्ट्रवादी दंगे का नाम देते हैं। दूसरों ने बताया कि औरंगजेब ने किसी को मजहब मे दखलअंदाजी नहीं की। किसान नायक गोकुला जाट का झगड़ा तो केवल लगान का था। एक भाई ने कहा कि गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर के बलिदान की बात पुरानी हो चुकी है। आज हम पढे लिखे हैं।इन बातों को भूल कर सेक्युलरिज़्म को आगे बढ़ाना चाहिए, एक ने बताया कि जम्मू कश्मीर मे धारा 370 के कारण 2 लाख से अधिक वाल्मीकि पिछले 66 साल से वोट नहीं दे सकते तो इसके लिए हरियाणा या दिल्ली मे शोर नहीं करना चाहिए। तभी बेंगलुरु के दंगे का पता चला और मैंने इसमे भीम मीम भाईचारा खोजने की कोशिश की। पूर्वी बेंगलुरु के पुल्केशी नगर के दलित कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर ओर 1000 से भी अधिक की अल्पसंख्यक भीड़ ने हमला कर आगजनी, पत्थरबाजी और दंगे किए, जिसके बाद इलाक़े में कर्फ्यू लगा दिया गया है। केजी हल्ली थाना क्षेत्र में हुई इस घटना के मामले में ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (sdpi)’ के नेता मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि वो इन दंगों का मास्टरमाइंड है। पुलिस को पता चला है कि पाशा दंगाइयों के बीच रुपए बाँट रहा था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई। सीसीटीवी फुटेज से ये भी पता चला है कि पुलिस पर किए गए हमले की साजिश पहले ही अच्छी तरह से रच ली गई थी। सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए पहले ही दंगाइयों को पूरी साजिश के बारे में बता दिया गया था और वो व्यवस्थित तरीके से वहाँ आए थे। पाशा ने bbmp का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वो हार गया था। वहीं एक अन्य आरोपित खलील स्थानीय कॉर्पोरेटर का पति है। दलित विधायक के भानजे के सिर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व सपा नेता शहजेब ने 51 लाख रूपए इनाम रख दिया है। क्या यह इकलौता मामला है? क्या आपको टीना डाबी याद है? 2016 बैच की ias प्रथम। 2018 मे उसने दूसरे स्थान पर आए कश्मीरी अतहर आमिर-उल-शफी खान से निकाह/ शादी/ marriage की। तब लिबरल जेहादी अम्बडेकरवादी और सेक्युलर लॉबी की दिवाली ईद और क्रिसमस एक साथ हो गई थी। सब इसे बहुत बड़ी घटना बता रहे थे। सितंबर 2018 में अतहर खान से शादी के बाद टीना ने instagram पर बायो में खान शब्द जोड़ते हुए खुद को delhiite, kashmiri bahu, ias, in that order लिखा (अपना परिचय कश्मीरी बहू और नाम टीना डाबी खान लिखा था) वैसे निकाह के लगभग 1 साल बाद ही अतहर आमिर-उल-शफी खानऔर टीना मे अनबन की खबरे आने लगी थी। जून 2019 मे टीना डाबी खान ने अपने मेहंदी लगे हाथों का वीडियो अपलोड किया तो सेक्युलरों को परेशानी हुई पर चुप रहे। अचानक फरवरी/ मार्च 2020 मे इन्स्टाग्राम पर अपनी बायो में "खान" सरनेम और "कश्मीरी बहू" का टैग हटा लिया। एक इंस्टा स्टोरी में हनुमान चालीसा की चौपाई का एक हिस्सा साझा करते हुए उन्होंने जयश्री राम का नारा भी लगाया। इंस्टा स्टोरी में टीना ने लिखा, "सबसुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना। जयश्री राम।" सेक्युलर भीम मीम वाले इस झटके से बाहर आते उससे पहले ही उनके अरमानों पर बिजली गिर गई। 22 जुलाई को राजस्थान श्रीगंगानगर जिला परिषद मे पदभार ग्रहण करते हुए पूजा की। अंबेडरवादियों के लिए 440 वॉल्ट का झटका लगा।



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