:: इसका उद्देश्य ::
सेवा - सुरक्षा - संस्कार
:: हमारा स्पष्ट विचार ::
1947 में जो हमारी मातृभूमि का खण्डन हुआ था धर्म ही उसका आधार बना था। इसलिए हम हिन्दुस्तान के किसी भी संसाधन और किसी भी धारणा को हम धर्म के आधार पर बाँटवारा का विरोध करते हैं।
:: जागरूकता ::
जो भी वंश अपने पूर्वजों को भूल जाता है जिसे उनका स्मरण और सम्मान करना याद नहीं रहता उसका भविष्य का गर्त में समा जाना संभव है।
:: हिंदू पुत्र सीख ::
जो भी समाज किसी दूसरे समाज की संस्कृत को प्राश्रय देता है उसका संरक्षण कर उन्हें प्राश्रय देते है। उनके सामने उनकी अपनी संस्कृति का हृास शुरू हो जाता है। जिसे भविष्य में समाप्त हो जाना सहज ही संभव है।
:: कर्म - धर्म - दर्शन ::
हिंदू परिवार में जन्म से ही कर्म की सीख दी जाती है वह मानवतावादी है। इंसानियत का गुण हमें अपने परिवार में ही मिल जाता है। हम कभी किसी भी लाचार से बैर नहीं रखते, हम उसकी सेवा को धर्म समझते है। पर वही आभारी जब हमारी अस्तृत्व पर खतरा बने तो हमें बिना समय गवाए उसका अंत करना ही हमारा धर्म है। यह जागृत पुरूषार्थ है जिस आज हिन्दू समाज को समझने की आवश्यकता है।
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