20-04-2020
जूना अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए महामंडलेश्वर अखाड़ा परिषद के महंतों ने महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो नागा साधु की हत्या के विरोध में लॉक डाउन पीरियड खत्म होने के बाद महाराष्ट्र कुछ करने का आदेश दिया। यह बहुत बड़ी विडंबना की बात है की बहुसंख्यक हिंदू समाज साधु की हत्या में प्रतिकार करने के लिए जूना अखाड़ा के तरफ केवल देख रही है यह दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है जिस धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए दधीचि जैसे ऋषि ने अपने प्राणों की आहुति देकर के संत परंपरा को एक आदर्श दिया था। आज संतो के प्राण पर आय आफत की घड़ी में वही हिंदू समाज संतो को ही अपनी लड़ाई लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया है। नागाओं की आज तक के धर्म यात्रा और जीवनशैली को देखकर यह अनुमान लगाना कठिन है की संग्राम कितना भीषण होगा। अगर समय रहते नागा साधु की हत्या के संदर्भ में उच्च स्तरीय जांच करके और दोषियों को सजाए मौत नहीं दी गई। और इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों की पहचान करके उन्हें समाज के बीच अगर नहीं लाया गया तो फिर महाराष्ट्र के अंदर खड़े होने वाली बवंडर को बचा पाना असंभव होगा। पूरे हिंदुस्तान के बहुसंख्यक हिंदू समाज के मन में साधु की हत्या से संबंधित वीडियो फुटेज और समाचार प्राप्त होने के बाद गजब का रोष है। हर कोई आंदोलित है। विभिन्न प्रांतों की से संबंध रखने वाले हिंदू संगठनों ने जूना अखाड़ा को खुली समर्थन देने की बात कही है। दूसरी ओर सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि जिस तरीके से आए दिन हिंदू देवी देवताओं के चित्र और मंदिर मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है। देवी देवताओं को जिस तरीके से आपत्तिजनक अपशब्द कहे जा रहे हैं। केंद्र या राज्य सरकार की और संवेदनशीलता इनको कृतियों को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में जब मनोबल बढ़ जाता है तो इसी प्रकार का जघन्य अपराध करने से भी भीड़ नहीं घबराती। हिंदू पुत्र संगठन ब्रह्मलीन साधु की निर्मम हत्या के विरोध में पूर्व है जूना अखाड़ा को अपने समर्थन देने की बात सार्वजनिक स्तर पर रख चुका है।
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