25-07-2020
रत्नागिरी-सोलापुर हाईवे पर यह पेड़ येलम्मा मंदिर के पास है, जो कि करीब 400 वर्गमीटर में फैला है। यह पेड़ स्थानीय लोगों की परंपरा से भी जुड़ा है। यही वजह है कि पर्यावरण कार्यकर्ताओं की माँग पर केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस पेड़ को बचाने के लिए खुद इस हाइवे का. महाराष्ट्र के सांगली जिले के भोसे गाँव में 400 साल पुराने बरगद के पेड़ के पास से निर्माणाधीन रत्नागिरी-नागपुर हाइवे नंबर 166 गुजरने वाला था। जिसके लिए पेड़ को काटना पड़ता। लेकिन लोगों की माँग पर नितिन गडकरी ने इस पेड़ को बचाने के लिए हाइवे के नक्शे में बदलाव करके प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दिया है।महाराष्ट्र के सांगली जिले के भोसे गाँव का 400 साल पुराना बरगद का पेड़ आजकल सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है। दरअसल, एक निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क इससे होकर गुजरने वाली थी। जिसके लिए इस पेड़ को काटकर एक सड़क बनाई जा रही थी।रत्नागिरी-सोलापुर हाईवे पर यह पेड़ येलम्मा मंदिर के पास है, जो कि करीब 400 वर्गमीटर में फैला है। यह पेड़ स्थानीय लोगों की परंपरा से भी जुड़ा है। यही वजह है कि पर्यावरण कार्यकर्ताओं की माँग पर केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस पेड़ को बचाने के लिए खुद इस हाइवे का नक्शा बदलकर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का आदेश दिया है।इस 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को लेकर महाराष्ट्र में पर्यावरण कार्यकर्ताओं के बढ़ते विरोध को देखते हुए, जब राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे को पेड़ के बारे में अवगत कराया गया, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की और पेड़ को बचाने की माँग की।आदित्य ठाकरे ने नितिन गडकरी को पत्र लिखकर कहा कि यह बरगद का पेड़ 400 वर्ग मीटर में फैला हुआ। इसके पास एक येलम्मा देवी माँ का मंदिर है। ठाकरे ने लिखा, यह पेड़ न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि चमगादड़ों और अन्य दुर्लभ पक्षियों के लिए एक प्राकृतिक आवास भी है। इसके अलावा यह वहाँ पर रह रहे बच्चों के खेलने की भी जगह है।ठाकरे ने बुधवार को ही एक ट्वीट में कहा कि नितिन गडकरी ने उनके अनुरोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने रत्नागिरी-नागपुर राजमार्ग के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है।शुक्रवार (जुलाई 24, 2020) को, एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सर्विस रोड के रास्ते में आने वाले पेड़ के मुख्य तने को बरकरार रखा जाएगा, इसकी कुछ शाखाओं की छँटनी की जाएगी। अब यह हाईवे भोसे गाँव की जगह आरेखन गाँव से होकर गुजरेगा।उन्होंने कहा- “पेड़ को बचाने के लिए एक योजना बनाई गई थी। पेड़ की कुछ शाखाओं को ट्रिम करने की आवश्यकता होगी, लेकिन पेड़ के ट्रंक को बरकरार रखने के लिए लगभग 20-25 मीटर के लिए इसे बंद करके सर्विस रोड में परिवर्तन किया जाएगा।” धन्यवाद ऑप इंडिया
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