|| सर्व विजयी हिन्दू पुत्र राष्ट्रधर्म आराधना ||

17-08-2020

धर्म अधर्म (शाहजहां और राजा दशरथ) दो पंक्ति काफी है समझने को

जय श्री राम जो तुलना करते हैं बाबर राम की। उनकी बुद्धि होगी किसी गुलाम की। आज मन में आया कि दो महान परिवारों की तुलना करूँ- पहला है अयोध्या के चक्रवती सम्राट दशरथ का परिवार और दूसरा है हिंदुस्तान के बादशाह शाहजहां का परिवार। 1. सम्राट दशरथ के चार पुत्र थे- श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। उसी प्रकार मुगल बादशाह शाहजहां के भी चार जायज़ पुत्र थे - दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंगजेब और मुराद बख्श। 2. सम्राट दशरथ अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को अपने साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं परन्तु बना नहीं पाते और कुछ कारणों की वजह उन्हें राम को 14 वर्ष का वनवास देना पड़ता है और फिर पुत्र वियोग में उनकी मृत्यु हो जाती है। उसी प्रकार मुगल बादशाह शाहजहां भी अपने ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह को अपने साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, पर कुछ कारणों की वजह से नहीं कर पाते, उल्टा उनका छोटा पुत्र औरंगजेब ही उन्हें आजीवन कारावास में कैद करके मार देता है। 3. श्रीराम के वनवास जाने पर उनका एक छोटा भाई लक्ष्मण भी राजमहल के सुख को त्यागकर बड़े भाई के साथ जंगल चला जाता है, तो दूसरा छोटा भाई भरत मिली हुई राजगद्दी छोड़ देता है और अपने बड़े भाई की खड़ाऊ राजगद्दी पर रख कर स्वयं वनवासी बन जाता है और राजमहल को त्याग कर कुटिया में रहता है और 14 वर्ष तक अपने बड़े भाई के राजमहल में लौटने का इंतजार करता है। दूसरी तरफ मुगल बादशाह शाहजहां के पुत्र बाप के कमजोर होते ही बादशाह बनने के लिए आपस में ही युद्ध छेड़ देते हैं; बड़ा भाई दारा शिकोह और छोटे भाई शाह शुजा के मध्य सत्ता का संघर्ष होता है; तो दूसरा छोटा भाई औरंगजेब एक षडयंत्र के तहत अपने छोटे भाई मुराद बख़्श को साथ लेकर पहले मंझले भाई शाह शुजा को मौत के घाट उतार देता है, फिर बड़े भाई दारा शिकोह को युद्ध में हराकर उसे दर्दनाक मौत देता है और अंत में साथ लिये छोटे भाई को भी मारकर राजगद्दी पर कब्ज़ा कर लेता है,और बाप शाहजहां को आजीवन कैद कर लेता है। 4. जहां एक तरफ सम्राट दशरथ के पुत्र अपने स्वर्गीय पिता के वचनों को निभाते हुए 14 वर्ष के लिए वनवास चले जाते है, राजमहल और राजगद्दी का त्याग कर देते हैं; वहीं दूसरी तरफ बादशाह शाहजहां के पुत्र षडयंत्र, धोखे, हत्या, छल कपट, सत्ता लोभ को ही सबकुछ मानते हैं; यहाँ तक की अपने बाप को ही कैद कर के मार डालते हैं। 5. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ये दोनों ही परिवार अपने-अपने धर्म का पालन करते हुये आचरण कर रहें हैं। उदाहरण के लिए औरंगजेब मज़हब के आधार पर ही दारा शिकोह को काफ़िर घोषित कर उसे अलग-थलग करके मार देता है और शरिया का राज स्थापित करने के लिए जिहाद करता है। 6.निष्कर्ष:- यहां एक धर्म का पालन करने वाले भाई परस्पर प्रेम, आदर और त्याग को समर्पित हैं तो दूसरे मज़हब के ये भाई आपस में कपट, षडयंत्र, लोभ और छल से हत्या को समर्पित हैं। अब आप बताओ कि आप आचरण करने योग्य वैदिक धर्मी अर्थात वेदों को मानने वाले बनोगे अथवा आसमानी किताब को मानने वाले मज़हबी बनोगे? धन्यवाद आर्य समाज प्रस्तुति के लिए

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